Gitapress Jit Dekhun Tit Tu (Code-605)
Regular price
                      Rs. 179.00
                      Rs. 299.00
                          
                          Save
                          Rs. 120.00
                          (40% off)
                      
              
Shipping calculated at checkout.
    🚚 Estimated Delivery 5-7 days
Out of stock
Notify me when available
Thanks for contacting us. We'll get back to you as soon as product / variant is back in stock.
      

  0
  
PRODUCT DETAILS
Gitapress Jit Dekhun Tit Tu (Code-605) : - "जित देखूँ तित तू" (कोड-605) एक पुस्तक है जो गीता के महत्वपूर्ण सिद्धांत "सब कुछ भगवान ही हैं" का प्रतिपादन करती है। इस पुस्तक में ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज ने भक्ति की श्रेष्ठता, अनिर्वचनीय प्रेम, संयोग, वियोग, और योग जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर उपयोगी दृष्टांतों के माध्यम से सुंदर विवेचन किया है।
यह पुस्तक हमें भगवान के प्रति भक्ति और आत्मीयता की महत्त्वपूर्णता को समझाती है। इसके माध्यम से हमें यह ज्ञान प्राप्त होता है कि जीवन में हमेशा भगवान का साथ होता है और हमें उससे प्रेम, आनंद और सुख मिलता है। यह पुस्तक हमें विभिन्न प्रकार के योगों के माध्यम से भगवान के साथी बनने की महत्वपूर्णता और उनके अनुभवों का वर्णन करती है।
इस पुस्तक में आपको भगवान के साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं का आदर्श चित्रण मिलेगा। यह हमें जीवन के उद्देश्य, सार्थकता, और सुखी जीवन के लिए भगवान के साथ सम्पर्क में रहने की महत्त्वपूर्णता को समझाती है। इस पुस्तक के द्वारा हमें भगवान के असीम प्रेम और आदर्श जीवन का मार्ग दिखाया जाता है।
यह पुस्तक आध्यात्मिक सफलता की ओर हमें प्रेरित करती है। इसमें संतों के जीवन से लिए गए प्रेरणादायक उदाहरण दिए गए हैं, जो हमें उनके आदर्शों और भगवान के साथ सम्पर्क में रहने के मार्ग को समझाते हैं।
"जित देखूँ तित तू" एक अमूल्य पुस्तक है जो हमें भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण की महत्त्वपूर्णता को समझाती है और हमें उच्चतम आनंद और आध्यात्मिक संवाद का अनुभव कराती है। यह पुस्तक हर भक्त के लिए आवश्यक है जो अपने आत्मा के साथ संयोग में रहना चाहता है और अच्छी आध्यात्मिक साधना करना चाहता है।
Gitapress Jit Dekhun Tit Tu (Code-605)
 We “ACHLESHWAR” are the 55+ years old seller-cum-manufacturers and publishers of religious books, spiritual items/idols or yantras; sole* distributors of geeta press gorakhpur’s complete literature.


